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ये आँनलाइन शॉपिंग ऐप  मे आने वाली पाँलिसी कब रिश्तों मे आ गयी पता ही नहीं चला।

मै बात कर रही हू आजकल की युवा पीढी( यंग जेनरेशन ) की,

जिनके मन मे रिश्तों की अहमियत किसी निर्जीव चीज के होने और ना होने तक है शायद।

जैसा की मेरा अनुभव रहा है लोगो के बीच,उन्हे इंसान के इमोशन और प्यार सब उन चीजो तक सीमित लगते है जो उनको किसी के द्वारा मिली है और वो सब लौटा देने से सब

खत्म हो जाएगा ....... शायद।

पर आप कैसे लौटा सकते है किसी का दिया हुआ स्नेह, वक्त और वो बहुत सारे लम्हे जहाँ वो हमेशा आपके लिए बराबर साथ थे,जब आपको जरूरत थी किसी के साथ की?


आप कैसे लौटा देंगे वो यादे और प्रेम के वो छोटे बड़े किस्से जो आपने साथ बिताए?

जिनमे आप हँसे,रोये,लड़े-झगड़े और उसके बाद भी साथ बैठ के खाना खाया?

कैसे लौटा देंगे आप किसी का वो वक्त और उनकी कद्र  जो उन्होंने आपको दी थी?

पत्र,समान या कुछ भी लौटा देने से आप कभी नही लौटा पाएंगे उनका वक्त,प्रेम,स्नेह

और कभी भी कही भी नही पा सकते वो जगह जो उन्होंने आपको दी थी अपने जीवन मे।


बल्कि सामान लौटा देने से आप हो जाते कर्ज़दार और भी,

क्यूँकि उनका दिया तो आप कभी सबकुछ लौटा ही नहीं सकते........ शायद ।



Comments

  1. ❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️

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  2. Beautifully related. 💞

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  3. Brilliant use of words

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  4. no one can return it all 💜📜

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  5. Pyara Sach 💕

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  6. Amazing 😊😊❤️

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  7. Thinking to break my writer's block, as these words are igniting a fire of words which are drown in my memories! Wonderful choice of words you penned it with 💕✨

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    1. Thank you so very much for appriciation... keep supporting <3

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  8. Exactly ❤️❤️

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  9. Relatable ..but mostly logo ke liye emotions se jada materials ki value hoti ..good one 😊

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  10. Superb mam🌼❤

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  11. ❤️❤️👌🏻

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  12. Lovely lines dear ❤️

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  13. Lines ❤️❤️❤️

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  14. Nice and relatable🫴🏻

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