नादान परिंदे

आप जब घर से बाहर निकलते हैं तो सिर पर सवार होता हैं,आज़ादी का जुनून। 

पर पीछे क्या-क्या छूट रहा होता हैं,ये शुरुआती दिनों मे महसूस नही होता बल्कि महसूस तब होता हैं जब आप कुछ बरस बिता देते हैं अपनी आज़ादी को हर मायने मे महसूस करके। 

और फिर!

थक कर एक वक्त का सुकून का खाना खाने कि सोचते हैं !

जी हाँ, सोचते हैं,

क्योंकि खाने के लिए चाहिए होता हैं या तो आपकी जेब मे पैसा या शरीर मे ताकत। 

और तब याद आता हैं -

माँ के हाँथ का खाना

चाहे वो दाल चावल हो या ठंड मे बनाया गरम-गरम हलवा।

आज बहुत वक्त बाद सूजी का हलवा बनाया बनते-बनाते जैसे जैसे हलवा पकता गया मेरे दिमाग मे सारी यादे ताजा होती गयी,

कैसे मैं बचपन मे ज़िद करके आपसे (माँ) बनवाती थी। 

बीतता वक्त बहुत कुछ सिखा देता हैं

पर बचपन!

पर बचपन आपकी जिंदगी को वो याद दे जाता हैं,जो आप कभी भूल ही नही सकते

चाह कर भी। 

बढ़ती उम्र,कम होता वक्त और माँ का प्यार बहुत कुछ सिखा जाते हैं,

और बचपन सिखा जाता हैं रोते हुए हंसना


This one is for you MUMMA 🌻❤

Comments

  1. True love is equal to Mother's love 💕 .
    Achha likhte ho❤️

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  2. This one made me emotional. ❤️❤️

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  3. this is the best ever...🌼🌼🌼💚

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  4. Such a dewy-eye peice����

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  5. Its feels lyk u had said my emotions in words. ❤loved it

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  6. विचारों की व्याख्या आज एक स्मृति बनकर रह गयी है

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  7. In vicharo ko salam ..❤️now i will call you lekhika ..��

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  8. Connected to words & feel the emotions...adorable written.🥀🥀

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  9. Kaafi pyaara likhte ho writer sahab🥺❤️

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  10. U made me emotional...literally you are a good writer who can connect anyone with her words.

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  11. Nice....Line ...Miss u Mom Nad Bachhpn

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